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BY: SRI RAGHUBAR RAM,PRT
सुनीता की पहिया कुर्सी कक्षा चौथी BY: SRI RAGHUBAR RAM,PRT
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सुनीता की पहिया कुर्सी सुनिता सुबह उठकर बहुत खुश हुई ,क्योंकि उसे आज पहली बार अकेले बाज़ार जाना था।
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वह नाश्ता करके बाज़ार से एक किलो चीनी ले ने चल पडी।
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उसने अपनी पहिया कुर्सी की मदद से अपने सुबह के सभी काम बडी फुर्ती से निपटाए ।
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उसने सडक पर बच्चों को गेंद खेलते और रस्सी कूदते देखा । वह भी उनके साथ खेलना चाहती थी ।
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उसे एक छोटी लडकी टुकुर टुकुर देख रही थी जो अपने माँ के साथ आगे बढ गई ।
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फिर उसने एक लडके को देखा जिसे बहुत सारे बच्चे छोटू-छोटू बुलाकर चिढा रहे थे । सुनीता को यह सब अच्छा नहीं लगा ।
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रास्ते में सभी लोग उसे देख कर मुस्कुराए।
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सुनीता को वह छोटी लडकी दोबारा एक कपडे की दुकान के सामने मिली।जब वह सुनीता की पहिया
कुर्सी के बारे में पूछ्ने लगी तो फरीदा की माँ ने उसे डाँट दिया ।
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उसे एक छोटी लडकी टुकुर टुकुर देख रही थी जो अपने माँ के साथ आगे बढ गई ।
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बाज़ार में पहुँचने पर वह दुकान के सामने की सीढियों पर वह रुक गई।तब छोटू ने उसकी मद्द की ।
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जब दुकानदार ने चीनी उसकी गोदी में रख दी तो भी ।उसे बुरा लगा ।छोटू ने उसे बताया कि साब लोग उसकी पहिया कुर्सी के कारण उससे ऐसा व्यवहार करते हैं ।
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सुनीता को लगता है कि वे दोनों भी दूसरे बच्चों जैसे ही हैं । पर अमित बताता है कि वे दोनों ही बाकी लोगों से कुछ अलग हैं ।पर अब वे लोगों की परवाह नहीं करते ।
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बताइए 1.सुनीता को सब लोग गौर से क्यों देख रहे थे ?
2.सुनीता को दुकानदार का व्यवहार क्यों बुरा लागा? 3.माँ ने फरीदा को क्यों रोक दिया?
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