पढक्कू की सूझ कक्षा चौथी By: Smt.V.SHAKUNTALA, PRT(ADHOC),KV-TVR
यह रामधारीसिंह दिनकर द्वारा लिखी कविता है। पढक्कू तर्कशास्त्र पढते थे। एक दिन वे सोच में पड गए की कोल्हू का बैल बिना किसी आदमी के चलाए कैसे चलता है ।
फिर वह मालिक से पूछता है कि उसे कैसे पता चलता है कि बैल चल रहा है या नही ।तो वह कहता है कि जब बैल की गर्दन में पडी घंटी नहीं बजती तो वह समझ जाता है कि बैल रुक गया है।
वह मालिक को चिढाकर कहता है कि अगर उसका बैल यह बात समझ जाए , सिर हिलाता रहे और चले नही तो मलिक क्या करेंगे ।
शाम को एक बूंद तेल भी नही मिलेगी । मलिक कहते कि उन्हें इस बात की परवाह नहीं है क्योंकि उनके बैल ने किताबें नहीं पढीं और यहाँ सब सही चल रहा है।
शिक्षा ज्ञान वही अच्छा है जो किसी के काम आए।