पढक्कू की सूझ कक्षा चौथी

Slides:



Advertisements
इसी तरह की प्रस्तुतियाँ
संस्कृतं संभाषणद्वारा...
Advertisements

Current Affairs Q.1 भारत सहित 18 देशेां के करीब 100 दिव्‍यांग युवा वैश्विक सूचना प्रौद्योगिकी स्‍पर्धा में हिस्‍सा ले रहे हैं इस स्पर्धा का आयोजन कहाँ
हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ:स) हमारे चौथे इमाम
BSTC EXAM SPECIAL NOTES 01
IP-INITIAL® Fuzzy खोजें
शोधनिबंध लेखन शोधनिबंध लेखन (
sf]if tyf n]vf lgoGqs sfof{no, nlntk'/
प्रस्तुति प्रतिलेख:

पढक्कू की सूझ कक्षा चौथी By: Smt.V.SHAKUNTALA, PRT(ADHOC),KV-TVR

यह रामधारीसिंह दिनकर द्वारा लिखी कविता है। पढक्कू तर्कशास्त्र पढते थे। एक दिन वे सोच में पड गए की कोल्हू का बैल बिना किसी आदमी के चलाए कैसे चलता है ।

फिर वह मालिक से पूछता है कि उसे कैसे पता चलता है कि बैल चल रहा है या नही ।तो वह कहता है कि जब बैल की गर्दन में पडी घंटी नहीं बजती तो वह समझ जाता है कि बैल रुक गया है।

वह मालिक को चिढाकर कहता है कि अगर उसका बैल यह बात समझ जाए , सिर हिलाता रहे और चले नही तो मलिक क्या करेंगे ।

शाम को एक बूंद तेल भी नही मिलेगी । मलिक कहते कि उन्हें इस बात की परवाह नहीं है क्योंकि उनके बैल ने किताबें नहीं पढीं और यहाँ सब सही चल रहा है।

शिक्षा ज्ञान वही अच्छा है जो किसी के काम आए।