श्रीकृष्णाय नमः श्रीवल्लभाय नमः विषय माहिती प्रवचनकर्ता पूज्य गो.श्रीश्याममनोहरजी ग्रंथ सर्वोत्तमस्तोत्र श्रीमहाप्रभुजीके नाम स्वार्थोज्झिताखिलप्राणप्रिय: तादृशवेष्टित: वर्ष २०१७ अहंता/ममता
ब्राह्मिकी अहंता/ममता: “आत्मैव इदं अग्रे आसीद्” पहले आत्मा ही हतो. वाने self-introspection कियो तब ‘अहम्’ मिल्यो. शुद्ध ब्राह्मिकी अहंता/ममता – जब “अहम् ब्रह्मास्मि” होयेगो तब अहम् को ब्रह्ममें assimilation! श्रीमहाप्रभुजी – “आत्मनि ब्रह्मरुपे तु....”, “स्वरूपस्थो यदा जीवः...”
शुद्ध ब्राह्मिकी अहंता/ममता “आत्मैव इदं अग्रे आसीद्” अहम् शुद्ध ब्राह्मिकी अहंता/ममता ब्रह्म ‘अहम्’को ब्रह्ममें assimilation
“द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया....” जीवात्मा “द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया....” परमात्मा
पारमात्मिकी अहंता/ममता जीवात्मा पारमात्मिकी अहंता/ममता परमात्मा Association
निवेदनात्मिका अहंता/ममता ‘भक्त’को भगवान्में assimilation तादर्थ्यको बोध – “भगवते श्रीकृष्णाय”
‘निरुद्ध जीव’को कृष्णमें कार्ष्णी अहंता/ममता श्रीकृष्ण ‘निरुद्ध जीव’को कृष्णमें निरोधात्मिका assimilation
समर्पित विनियोगात्मिका अहंता/ममता अपने घरको ठाकुर निवेदितात्मा अपनो घरको ठाकुर – “एनं उद्धरिष्यामि...” मेरो सर्वस्व – सर्वस्व को समर्पण/विनियोग “गंगात्वम् सर्व दोषाणाम्... सर्वेषाम् ब्रह्मता ततः” समर्पित विनियोगात्मिका अहंता/ममता अपने घरको ठाकुर ‘जीव’को अपने घरके ठाकुरमें assimilation
Mega Nano ब्रह्म स्वत्व परमात्मा त्याग भगवान् दान कृष्ण निवेदन/ समर्पण गृहविभु विनियोग
वल्लभवाणीकी बरसात बुद्धि प्रेरक कृष्णस्य पाद पद्मं प्रसीदतु ध्यानासमर्थ जीवानाम् अस्माकं सर्वदा स्वतः||