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बालविकास की समझके जरिये हिंसा निर्मूलन
बालविकास की समझके जरिये हिंसा निर्मूलन हसमुख पटेल अनुवादक: अर्पणा गाँधी
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बचपन महत्वपूर्ण है I बच्चे बहुत ही तेजीसे सीखते है I
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बचपन महत्वपूर्ण है I यदि बचपनसे शिशु बिना आक्रामक बने
प्रश्नोंके हल ढूंढने मतभेदोंको स्वीकारना गुस्सेको गले उतारना अनचाही परिस्थितिमे भी आगे बढना मनमुटाव होने पर भी ना रुकना सिख रहा है तो बच्चा अहिंसक बर्ताव सीख रहा है और जिंदगीभर अहिंसक रहेगा I उसके खुद की हिंसा पीड़ित होने की सम्भावना भी कम ही रहेगी I
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ऐसा अहिंसक आचरण बच्चा कैसे सीखेगा ?
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बच्चा कैसे सीखेगा ? मातापिता, बुजुर्ग उस परिस्थितिसे कैसे निपटते है उसीसे बच्चा सीखेगा I आक्रामक प्रकृतिवाले मातापिताके संतान आक्रामक बनेगे I शांतिपूर्ण नम्र, और अहिंसक मातापिताके संतान अहिंसक बनेगे I
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प्रेम और सुरक्षा मातापिताका प्यार, हिफाजत और देखभाल ही बच्चेको सुरक्षाका एहसास करवा सकते है I बाहरकी हिंसासे रक्षाका सबसे उत्तम मार्ग यही है I
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बच्चे देख कर – अनुभव करके सीखते है
बड़े बुजुर्गोको देखकर टेलिविज़न किताबे – चित्र
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प्रत्यक्ष हिंसाका अनुभव बच्चोंके लिए अत्यंत पीड़ाजनक
प्रत्यक्ष हिंसाका अनुभव बच्चोंके लिए अत्यंत पीड़ाजनक औरोंके साथ होनेवाली हिंसा भी पीड़ादायक होती है I स्कूली कक्षामें एक बच्चेको मार मिलती है तो पूरी क्लास कांपती है I बच्चा परिवारके सदस्य या नज़दिकी आप्तजनोंको हिंसाका शिकार होते हुए देखता है उस समय भी उसके लिए वह असह्य होता है I
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जब बच्चा इस तरह प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष हिंसासे असरग्रस्त हुआ हो तो क्या करे ?
बच्चे को सुनिए उसकी भावनाओको व्यक्त करने हेतु प्रोत्साहित कीजिये I अहिंसक तरीकेसे पेश आनेवाले ज्यादा से ज्यादा लोगोंको वह देख सके ऐसे परोक्ष प्रयत्न करे I तब बच्चा सीखेगा कि हिंसा / आक्रामकता बिना भी विभिन्न परिस्थितियोंको निपटाया जा सकता है I
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जब बच्चा हिंसाका शिकार होता है तब
वो निरंतर भय और असुरक्षा महसूस करता है I समयके चलते शारीरिक जखम भर जाते है I पर संवेदना पर होनेवाले घाव पूरी जिंदगी भरते नहीं I ऐसे बच्चोंकी अगर समयसे देखभाल ना हो पाए तो हिंसक बन जाते है I
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गुस्सा गुस्सा एक प्राक्रतिक / सहज एहसास है I
बच्चेको अपना क्रोध नियंत्रित करना सिखाना अहिंसक आचरण सिखानेका महत्वपूर्ण सोपान है हिंसामुक्त व्यक्ति और समाज की ओर महत्वपूर्ण कदम I
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बच्चोंको सिखाईये की ...... गुस्सा सहज अनुभूति है I
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बच्चा गुस्सा होनेकी वजह
९-१० महीने की उम्र भूखसे, बिमारीसे, और कोई पीड़ाकी वजहसे गुस्सा हो जाते है I रो-रोकर, हाथ-पैर उछालकर गुस्सा व्यक्त करते है I
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बच्चा गुस्सा होनेकी वजह
१८ मास की आयु तक पसंदीदा चीज़ ना मिलने पर, जिसके पास रहना चाहते हो उसके साथ रहनेको ना मिलने पर, बीमार या डरे हुए हो उसवक्त रो-रोकर
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बच्चा गुस्सा होनेकी वजह
१८ महीनेसे 4 साल तक आसानीसे नाराज हो जाते है आक्रामकतासे स्वयं जो करना चाहते है वह करना पसंद करते है दुसरे बच्चोसे चीज छीन लेते है चीज छिननेके लिए दूसरेको मार भी सकते है खुद खड़े रहनेके लिए ओर बच्चेको धक्का तक दे सकते है I
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बच्चा गुस्सा होने की वजह
४ से ८ साल तक दुसरे लोग जो बोले या करे उस पर गुस्सा हो जाये अपनी बात जुबानी कहना सीखे औरोंकी बात पहले से ज्यादा समझ सकते है दूसरोंको मार सकते है, हमला कर सकते है औरोंकी पसंद चीजोंको नुकसान पहुंचा सकते है
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बच्चा गुस्सेका नियंत्रण सिख सकता है
जब हम क्रोधित और आक्रमक बने बच्चेसे शांतिसे पेश आते है तब बच्चा अपने गुस्सेपर काबू पाना सिख सकता है I
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बच्चा गुस्सेका नियंत्रण सिख सकता है बड़ोंके शांतिपूर्ण बर्तावसे
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बच्चेको किस तरह शांत करे ?
अत्यंत छोटे शिशुको उठाकर, गोदमें लेकर थपकियोंसे शांत करे I उससे बड़े, बोल सकते हो, बोलना सिख रहे हो ऐसे बच्चेको अपनी बात शब्दोंमेव्यक्त करनेके लिए प्रोत्साहित करे I बच्चा जब गुस्सेमें हो तब असहिष्णु होनेके बजाय उससे एक से दसकी गिनती करवाए जैसे : बोलो बेटा ‘एक’, बोलो बेटा ‘दो’इस तरह I
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बच्चेको किस तरह शांत करे ?
बच्चेको किस तरह शांत करे ? नर्सरी जानेवाले या उससे कुछ बड़े बच्चोकों जो हुआ हो और उसके लिए उसकी खुदकी संवेदनाको व्यक्त करनेके लिए प्रोत्साहित करे I शिशु शांत होने पर उसके बारेमें ओर जानकारी ले I उस समय भी उसे सलाह – परामर्श देनेके बजाय सिर्फ सुनिए I उसे सोचनेका मौका दीजिये
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बच्चेको किस तरह शांत करे ?
बच्चेको किस तरह शांत करे ? परिस्थिति बदलनेके रस्ते उसे ही ढूंढनेके लिए प्रेरित कीजिए और अपवादात्मक रूपसे ही उसे मदद करे I बच्चेके गुस्सेको किस तरह नियंत्रणमें लेना चाहिए ये अगर आपको नहीं पता हो और आप खुद ही क्रोधित हो जाते हो तो गुस्सेको नियंत्रणमें रखनेकी आप तालीम हांसिल करे I
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अगर आपही गुस्सेको नियंत्रित नहीं कर पा रहे हो तो बच्चा भी उग्रता ही सीखेगा I
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मातापिता और अन्य परिवारजन अगर बिना उग्रतासे शांतिपूर्ण संवादसे प्रश्न और मतभेदोंको सुलझा सकते है तो ही शिशु भी वह सीखेगा I
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सिखनेका प्रारंभ खुदसे ही करना पड़ेगा I
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बच्चा अपने आप सीखेगा उसे सिखानेकी जरुरत भी नहीं रहेगी I शांत और उग्रतामुक्त बालसंवर्धनकी ये गुरुचाबी है I
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जब हम बच्चोंकी भावनाओंका सम्मान करते है तब वह भी अन्योंकी संवेदनाओका आदर करना सीखता है I
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समस्त घर-परिवारमें एकदूजेकी भावनाओका सम्मान होते हुए देखकर बच्चा अपने आप सीखता है I
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ऐसा बच्चा शांतचित्त होता है I
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ऐसे बच्चोंके मातापिताको बच्चेका गुस्सा या आक्रामकताकी फिक्र नहीं होगी I
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ऐसे बच्चे बड़े होकर तनावके शिकार होनेकी संभावनाए कम ही है I मुश्किल परिस्थितियोंसे मार्ग ढूंढ ही लेते है I
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गुस्सा किये बिना सवालोंके हल ढूंढना कैसे सिखाये ?
गुस्सा किये बिना सवालोंके हल ढूंढना कैसे सिखाये ? बच्चोंको प्रतिकूल परिस्थितिको सुलझानेके मार्ग ढूंढनेके लिए प्रोत्साहित कीजिए I किशोरावस्थामें बच्चा वह कर पाता है पर हमे डेढ़-दो सालकी उम्रसे ही इसका प्रारंभ कर देना चाहिए ताकि हमारी खुदकी तालीम भी हो और बच्चा भी अहिस्ता-अहिस्ता सिखने लगे I
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उस वक्त बच्चेकी सराहना करना न भूले
बच्चा जब शांत हो जाये उसे क्या लग रहा है / क्या महसूस हो रहा है उसकी बात करे सवालोंका वर्णन करे / मनकी बात स्वस्थ हो कर कहे धीरज और सब्र रखते हुए परिस्थितिमेंसे खुदही रास्ता निकले I उचित, शांत तथा सौम्य, और अहिंसक बर्ताव करे उस वक्त बच्चेकी सराहना करना न भूले
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बच्चोंको यह एहसास करवाना ना भूले की प्रश्नके उत्तर ढूंढनेकी प्रक्रियामें गलती होना स्वाभाविक है और उन गलतियोंसे भी कुछ ना कुछ सिखा जा सकता है I हल ढूंढते समय किसी भरोसेमंद ज्येष्ठ व्यक्ति से मार्गदर्शन लेना सिखाइए I
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ये कभी ना भूले की बच्चे हमे एक दुजेका सम्मान करते हुए अहिंसक तरीकेसे प्रश्न और मतभेद दूर करते हुए देखेंगे तो वे भी सीखे बगैर नहीं रहेंगे I
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किसी भी बच्चेका बर्ताव परिपूर्ण नहीं होता I कुछ बच्चे अन्य बच्चोंकी अपेक्षा दुष्कर/कठिन होते है I
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जब किसी बच्चेके अनुचित बर्तावको रोकनेकी कोशिश हम करते है उस वक़्त हमे इतना याद रखना चाहिए की वह रूकावट हम उस परिस्थितिसे बाहर निकलनेके लिए या उस अनचाही और अस्वीकृत स्थितिको रोकनेके लिए ही नहीं कर रहे I
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यह एक मौका है बाल संवर्धन को उचित दिशा देनेका I उस समयका हमारा बर्ताव और परिस्थितिको संभालनेके हमारे तौर–तरीके पर घरकी शांति और बच्चेके भविष्यके स्वभावके विकासका आधार है I
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इतनी अहम् ये बात है तो गुस्सा किसीभी द्रष्टिकोणसे उचित नहीं है I
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बर्ताव प्रशिक्षणके तरीके
बर्ताव प्रशिक्षणके तरीके बालसंवर्धनकी शिक्षा –दीक्षा के लिए शांतिपूर्ण समयका उपयोग करे और उनके अच्छे बर्तावकी प्रशंसा करे I जब वो अपने खिलौने दूसरोंको दे तो उसे ध्यानमें रखते हुए प्रशंसात्मक शब्दोंसे उसका हौसला बढाये- पर खिलौना दूसरोंको देना चाहिए ऐसा न कहे I खेलनेके बाद खिलौने अपनी जगह पर रखे तो उसकी सराहना करे I
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बर्ताव प्रशिक्षणके तरीके
उम्रके अनुसार नियम बनाए I बर्तावके मापदंड तय कीजिए I बिना आलोचना या उपदेश आचरणके नतीजे दिखाईये I उन नतीजोंका अनुभव होने दीजिये I बच्चेको आपके अच्छे बर्तावका अनुभव होने दीजिए I
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७-८ सालकी उम्रका बच्चा ठिकसे आचरण ना करे तब
गुस्सा किये बगैर आपकी अपेक्षा सरल शब्दोंमे कहिये I “ आपकी चीजें तुरंत ही ठिकाने पर रख दो धमकी दिए बगैर याद दिलाये, चेतावनी दीजिए I सारी चीजे ठिकाने पर रखनेके बाद खेलने जा सकते हो
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७-८ सालकी उम्रका बच्चा ठिकसे आचरण ना करे तब
बच्चेको क्या करना है वही कहे, क्या नहीं करना है वह नहीं - शांतिसे बात करो \/ - चिल्लाना नहीं X अगर वोह आपकी बात माने तो सराहना करे I
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निरंतर सख्त सजाकी वजहसे बच्चा आक्रामक बनता है I
कभी कभी बच्चेका बर्ताव इतना शर्मिंदगी भरा होता है की माता-पिता बिना सोचे समझे मार देते है I जब ऐसा होता है तो बच्चा असमंजसमें पड़ता है या डर जाता है या तो फिर गुस्सा हो जाता है I खास करके प्यार और सुरक्षाके लिए वह जिस पर आधारित है वो जब ऐसा करते है तब उसे मानसिक हानि पहुँचती है और उसमे आक्रामकताकी शुरुआत होती है I निरंतर सख्त सजाकी वजहसे बच्चा आक्रामक बनता है I
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अनुशासनके कुछ तरीके परेशान कर दे ऐसा पर नुकसानकारक ना हो ऐसे बर्तावको अनदेखा करो I अस्वीकृत बर्तावसे संलग्न उसकी पसंदीदा खास बातोंको वापस ले लीजिये I उदा: लगातार बेहूदा बर्ताव करनेवाले किशोरका हर इतवारको सिनेमा देखने जाना बंद करना I परिणामका एहसास उसके बर्तावको बदलेगा I
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अनुशासनके कुछ तरीके स्कूली गृहकार्य ना करनेवाले बच्चोंसे बार –बार कह कर गुस्सा करनेके बजाये शिक्षकोंकी डांट खाने दीजिये I लेकिन जब परिणाम बच्चेकी सलामतीके लिए जोखिमकरक हो तब इंतजार नहीं कर सकते I उदा: बच्चा दियासलाईसे खेल रहा हो I
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बच्चेको मार-पिट करनेसे उसके मनमें यह बात बैठ जाती है की किसीको नियंत्रित करनेके लिए मारना उचित है I बार-बार ताड़ित करनेसे बच्चा दुसरे पर भी बलप्रयोग करने लगता है I
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सर्जनात्मक माहौल सर्जनात्मक माहौल हिंसा रोकनेकी गुरुचाबी है I
बच्चेको उसकी मनपसंद सर्जनात्मक प्रवृत्तिमें जोड़ दीजिये I उसमे हिंसात्मक आक्रामकता आकार नहीं लेगी I
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सर्जनात्मक माहौल सर्जनात्मक प्रवृत्ति याने अभिरुचिके (hobby) वर्ग नहीं, बच्चेके साथ गुणात्मक समय बितानाI कहानियाँ सुनाना गीत गाना कहानी पढना खेल खेलना चित्र बनाना साथमें काम करना घुमने जाना
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बच्चोंका सामाजीकरण आपके पारिवारिक एवं अन्योंके साथके संबंधोंसे बच्चा सीखेगा I यदि आप प्यारभरे सामाजिक सम्बन्ध बनाये रखते है तो बच्चे भी सीखेंगे I उसके सामाजीकरणके लिए उसे ओर बच्चोंसे खेलने दो I बच्चोंको उनके प्रश्न हल करने दीजिये, सिवा वे एक दूजेको घायल करनेकी नोबत तक आ पहुंचे I
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मिडियामें चित्रित हिंसाचारका बच्चों पर असर
नक़ल करनेके लिए हिंसक नायक प्रत्यक्ष होता है I आक्रामक बर्तावको प्रोत्साहित करता है I बच्चेको सीख मिलती है की प्रश्नोंका समाधान ढूंढनेके लिए हिंसा जायज़ है, और उसका उपयोग कर सकते है I बच्चोंमें भय पैदा होता है I उन्हें हिंसा देखना पसंद आने लगता है और हिंसक प्रोग्राम देखनेकी रूचि जाग्रत होती है I
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टीवीकी हिंसासे बच्चोंको कैसे बचाए ?
बच्चोंके साथ टीवी देखिये और कार्यक्रमके बारेमें चर्चा करें बच्चा जो देखता है उसके पर नजर रखे I बच्चा छोटा हो तब ही से टीवीका समय नियंत्रित करे I टीवी देखनेसे पहले स्कूल और घरके काम सम्पन्न करनेका नियम बनाये और पालन करे I
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टीवीकी हिंसासे बच्चोंको कैसे बचाए ?
हिंसक प्रोग्राम देखने ना दे I बच्चोंको प्रोत्साहित कीजिये ऐसे प्रोग्राम देखनेके लिए जिनमेंसे कुछ सिखने मिले और विकास भी हो I बच्चोंके साथ रहनेवाले अन्य बड़ोंको भी इसकी समझ दीजिये और उनसे भी इन नियमोंका पालन करवाए I
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मिडियामें चित्रित हिंसाके बारेमें बच्चोंसे बात कीजिये की :
मिडियामें दिखाई जानेवाली हिंसा आभासी है I जाती जिंदगीमें हिंसासे हानि पहुँचती है I मिडियामें दिखाई देनेवाले अस्त्र-शस्त्र नकली होते है I वास्तविकतामें ऐसे हथियारसे हानी पहुँचती है / जान भी जा सकती है I मिडियाके प्रोग्रामसे अगर डर लगता है तो बच्चेसे कहो बड़ोंसे बात करे I
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मिडियामें चित्रित हिंसाके बारेमें बच्चोंसे बात कीजिये की :
मिडियामें दिखाई जानेवाली हिंसा आभासी है I जाती जिंदगीमें हिंसासे हानि पहुँचती है I मिडियामें दिखाई देनेवाले अस्त्र-शस्त्र नकली होते है I वास्तविकतामें ऐसे हथियारसे हानी पहुँचती है / जान भी जा सकती है I मिडियाके प्रोग्रामसे अगर डर लगता है तो बच्चेसे कहो बड़ोंसे बात करे I
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: धन्यवाद: आइये हिंसामुक्त समाजके लिए जिम्मेदार मातापिता बनकर अपने बच्चोंके आदर्श बने I
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