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आज हम पढ़ेंगे :- इस्लाम धर्म का उदय कब हुआ ?
इस्लाम धर्म का उदय कब हुआ ? इस्लाम धर्म के प्रवर्तक कौन हुए ? इस्लाम धर्म के सिद्धांत क्या थे ? भारत में इसका आगमन कैसे हुआ ?
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इस्लाम धर्म का उदय :- इस्लाम धर्म का उदय अरब देश में हुआ था।
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इस्लाम धर्म के प्रवर्तक
इसके प्रवर्तक हजरत मुहम्मद साहब थे।
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हजरत मुहम्मद साहब इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मौहम्मद साहब थे। जिनका जन्म 570 ई० में अरब (मक्का) में हुआ था। कबीले के लोग इन्हें ‘अल अमीन’ के नाम से पुकारते थे। कुरान में उन्हें ‘मौहम्मद’ और अहमद नामो से पुकारा गया। मोहम्मद साहब के पिता का नाम अब्दुल्ला और माता का नाम अमीना था। बचपन से ही मोहम्मद साहब चिंतनशील, विचारशील एवं धार्मिक प्रवृत्ति के थे। मोहम्मद साहब का विवाह 25 वर्ष की आयु में खदीजा नामक विधवा के साथ हुआ था।
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जिस समय मोहम्मद साहब का जन्म हुआ उस समय अरब देश की सामाजिक ,राजनीतिक ,आर्थिक और धार्मिक दशा बड़ी शोचनीय थी । चारो ओर अनाचार, अत्याचार ,अन्धविश्वास तथा अराजकता का बोलबाला था।विभिन्न जातियो और कबीलो के मध्य संघर्ष होता रहता था। विभिन्न जातियाँ खानाबदोशों का-सा जीवन व्यतीत करती थी। भूत प्रेत एवं मूर्तिपूजा का बोलबाला था। मोहम्मद साहब ने अरब समाज की कुरीतियो को दूर करने और वहां की स्थिति को सुधारने के लिए एक नए धर्म का सूत्रपात किया जिसे संसार इस्लाम धर्म के नाम से जनता है।
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ज्ञान प्राप्ति :- मोहम्मद साहब को 610 ई० में मक्का के पास हीरा नामक गुफा में ज्ञान की प्राप्ति हुई। देवदूत जिब्रियल ने मुहम्मद साहब को कुरान अरबी भाषा में संप्रेषित की | कुरान इस्लाम धर्म का पवित्र ग्रन्थ है |
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40 वर्ष की आयु में मौहम्मद साहब ने अपने पैगम्बर होने की घोषणा कर दी।
इनके उदारवादी विचारो के कारण मक्का में इनके अनेक विरोधी बन गए फलस्वरूप इन्होंने 622 ई० में मक्का से मदीना को प्रस्थान किया। इस्लाम के इतिहास में 622 ई० की तिथि ‘हिजरत’ के नाम से प्रसिद्ध है। इसी तिथि से इस्लाम का हिजरी सम्वत प्रारम्भ होता है| 630 ई० इन्होने अपने लगभग 10,000 अनुयायियों के साथ मक्का पर चढाई कर उसे जीत लिया और वहाँ इस्लाम धर्म को लोकप्रिय बनाया | 632 ई० में मौहम्मद साहब की मृत्यु हो गई। इन्हें मदीना में दफनाया गया | मौहम्मद साहब द्वारा दिए गए उपदेश ‘कुरान – शरीफ” में संगृहीत है। मौहम्मद साहब द्वारा दिए गए धार्मिक प्रश्नों के उत्तर का व्याख्यान ‘हदीस’ नामक ग्रन्थ में संकलित है।
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सम्प्रदाय:- मौहम्मद साहब की मृत्यु के बाद इस्लाम धर्म सुन्नी तथा शिया दो पंथो में विभक्त हो गया। शिया संप्रदाय :- शिया अली की शिक्षाओं में विश्वास करते है तथा मुहम्मद साहब के दामाद अली व उनके पुत्र को पैगम्बर मानते है| सुन्नी संप्रदाय :- जो सुन्ना में विश्वास करते है | सुन्ना (इस्लाम धर्म में निर्धारित कार्यो को आदर्श मानकर उनका पालन करना चाहिए) | मौहम्मद साहब के उत्तराधिकारी खलीफा कहलाए।
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कुरान इस्लाम धर्म की पवित्र पुस्तक |
इस्लाम धर्म की पवित्र पुस्तक | कुरान ईश्वर द्वारा मनुष्यों को प्रदान की गई अंतिम धार्मिक पुस्तक है
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पर्व :- मुहम्मद साहब के जन्म दिन पर ईद-ए-मिलाद- ऊन-नबी पर्व मनाया जाता है| ईद-ऊल-फितब ईद-ऊल-अज्हा |
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मस्जिद :- विश्व की सबसे बड़ी मस्जिद मक्का की मस्जिद-अल-हराम है| मुसलमानों का पवित्र स्थल काबा इसी मस्जिद में है |
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इस्लाम के अनुसार मुसलमानो के पाँच कर्तव्य है-
इस्लाम के अनुसार मुसलमानो के पाँच कर्तव्य है- कलमा पढ़ना, नमाज पढ़ना, रोजा रखना, हज करना, जकात देना |
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कलमा पढना ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदर्रसूलुल्लाह अर्थात अल्लाह एक है उसके अलावा कोई दूसरा नही है और मुहम्मद साहब उसके पैगम्बर है| कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले मुसलमान यह कलमा पढ़ते है|
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नमाज करना (पूजा करना) यह एक प्रकार की प्रार्थना है जो अरबी भाषा में एक विशेष नियम से पढ़ी जाती है | यह पश्चिम(मक्का) की ओर मुंह करके पढ़ी जाती है| मक्का की ओर की दिशा को क़िबला कहा जाता है | हर मुसलमान को 5 बार नमाज पढना अनिवार्य है |
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रमजान(रोजा)रखना इस्लामी कैलेंडर के अनुसार 9 वे महीने में सभी सक्षम मुसलमानों को रोजा रखना अनिवार्य है | रोजे में हर प्रकार का खाना-पीना वर्जित है |
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हज करना (तीर्थ यात्रा करना )
इस्लामी कैलेण्डर के 12 वे महीने में मक्का में की जाती है |हर समर्पित मुसलमान को (जो हज का खर्चा उठा सकता है) के जीवन में हज एक बार अनिवार्य है |
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जकात देना (दान देना) यह एक वार्षिक दान है जो हर आर्थिक रूप से सक्षम मुसलमान को निर्धन मुसलमान को बाँटना अनिवार्य है | यह वार्षिक आय का 2.5% होता है |
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इस्लाम धर्म के मूलभूत सिद्धान्त
ईश्वर एक है तथा मौहम्मद साहब उसके पैगम्बर है। सभी व्यक्ति अल्लाह की संतान है उनमें परस्पर कोई भेद नहीं है। धरती पर मनुष्य का जन्म पहला और अंतिम है। ईश्वर और रूह में सीधा सम्बन्ध है। कुरान मुसलमानो का पवित्र ग्रंथ है। व्यक्तियों को मादक वस्तुओ का सेवन नहीं करना चाहिए। इस्लाम धर्म ‘जन्नत’ और ‘दोजख’ में विश्वास करता है। इस्लाम धर्म में ‘कयामत’ में विश्वास किया जाता है। इस्लाम धर्म ‘पुनर्जन्म’ में विश्वास नहीं करता।
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भारत मे इस्लाम धर्म का आगमन
भारत में इस्लाम आगमन के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे: भारत में सर्वप्रथम इस्लाम का आगमन अरबो के जरिए हुआ | अरब व्यापारी जो इस्लाम धर्म को मानते थे, भारत के पश्चिमी तट पर व्यापार करने आते थे। वहाँ के बन्दरगाहों में वे छोटी – छोटी बस्तियां बनाकर बसे। राजाओ ने उन्हें घर, गोदाम तथा मस्जिद बनाने के लिए जमीन दी। इन व्यापारियो के प्रभाव से आसपास के कई लोग मुसलमान बने। मोहम्मद –बिन- कासिम ने जब सिंध पर अपना राज्य स्थापित किया तो उसके साथ आये कई लोग सिंध और मुल्तान में बसे। उनके कारण वहाँ के लोगो को इस नये धर्म के बारे में पता चला।
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भारत के उत्तरी हिस्सो में इस्लाम की जानकारी ईरानी शरणार्थीयो के द्वारा आई। सन 900 के लगभग ईरानी लोग तुर्क हमलो से बचने के लिए भारत आये। ये ईरानी लोग मुसलमान थे। जिनके संपर्क में आकर बहुत से लोगो को इस्लाम के बारे में जानकारी मिली। सूफी संतों ने भी इस्लाम के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। महमूद गजनवी तथा मौहम्मद गोरी जैसे शासको ने भारत में इस्लाम के प्रचार- प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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धन्यवाद
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